

बदरुद्दीन जमालुद्दीन काजी (जॉनी वॉकर)
बदरुद्दीन जमालुद्दीन काजी को दुनिया जॉनी वॉकर के नाम से भी जानती है। सिनेमा में आने से पहले काजी बस कंडक्टर हुआ करते थे। इसी क्रम में बलराज साहनी की नजर उन पर पड़ी। उनका स्क्रीन टेस्ट शराबी के तौर पर हुआ। काजी ने ना सिर्फ दिल जीता, बल्कि स्कॉटिश व्हिस्की ब्रांड की तर्ज पर उनका नामकरण भी हो गया। दिलचस्प बात यह है कि काजी ने खुद कभी शराब को हाथ तक नहीं लगाया। वह पहले कॉमेडियन हुए जिनके लिए 'सर जो तेरा चकराए' और 'ऐ दिल है मुश्किल' जैसे स्पेशल सॉन्ग कंपोज किए गए।

महमूद
महमूद अली को 60 के दशक में 'किंग ऑफ कॉमेडी' कहा जाता था। वह एक बेहतरीन कॉमेडियन, जबरदस्त एक्टर, प्रोड्यूसर और डायरेक्टर थे। 400 से अधिक फिल्मों में अपने अभिनय की छाप छोड़ने वाले महमूद अपने वन लाइनर जोक्स, कॉमिक टाइमिंग और कॉमिक डांस स्किल्स के लिए जाने जाते थे। हिंदी और उर्दू में उनकी बेहतरीन पकड़ थी। 1978 में रिलीज 'एक बाप छह बेटे' में महमूद अपने सभी छह बेटों के साथ पर्दे पर नजर आए।
उमा देवी खत्री (टुनटुन)

उमा देवी खत्री (टुनटुन)
उमा देवी को रुपहले पर्दे की दुनिया में टुनटुन के नाम से जाना जाता है। अदायगी के साथ ही पर्दे पर उनकी उपस्थिति मात्र से दर्शकों के चेहरे पर हंसी की फुहार छूटने लगती थी। उनका डील-डौल शरीर उनकी पहचान थी। डायलॉग डिलिवरी का भी उनका अपना अंदाज था। उनकी खुद की हंसी भी बहुत प्यारी थी।
राजेंद्रनाथ

राजेंद्रनाथ
राजेंद्रनाथ हिंदी सिनेमा के कॉमेडी जोनर में सबसे महान एक्टर्स में से एक हैं। उनके एक्टिंग करियर को पंख 1959 में तब लगे, जब नासिर हुसैन की फिल्म 'दिल देके देखो' में उन्होंने कॉमिक रोल किया। अपने दौर के हर बड़े एक्टर के साथ काम करने वाले राजेंद्रनाथ कई दफा फिल्म के लीड एक्टर्स पर भी भारी पड़े।
जगदीप

जगदीप
ऐतिहासिक फिल्म 'शोले' का सूरमा भोपाली याद है? सिनेमा की दुनिया में उन्हें जगदीप के नाम से पहचाना जाता है। जबकि इन जनाब का असली नाम सईद इश्तियाक अहमद जाफरी था। जगदीप ने बीआर चोपड़ा की फिल्म 'अफसाना' में बतौर चाइल्ड एक्टर डेब्यू किया था। पर्दे पर जगदीप की संवाद अदायगी का अपना अंदाज था और आज भी उनकी फिल्में चेहरे पर मुस्कान बिखेर जाती हैं।
असरानी

असरानी
असरानी हिंदी सिनेमा के उन गिने-चुने एक्टर्स में से हैं, जिन्होंने पर्दे पर हर तरह के रोल किए हैं। हद से ज्यादा हंसाया है। कई बार सोचने पर मजबूर किया है, तो कई दफा रूलाया भी है। उनका पूरा नाम गोवर्धन असरानी है। 'शोले' फिल्म में जेलर की उनकी भूमिका हमेशा याद की जाती है। उन्होंने 1967 में 'हरे कांच की चूड़ियां' से एक्टिंग डेब्यू किया था।
देवेन वर्मा

देवेन वर्मा
देवेन वर्मा हिंदी सिनेमा के उन कॉमेडियंस में थे, जिन्होंने बासु चटर्जी, ऋषिकेश मुखर्जी और गुलजार जैसे डायरेक्टर्स के साथ काम किया है। वह खुद भी कई फिल्मों के डायरेक्टर और प्रोड्यूसर रहे। 'चोरी मेरा काम', 'चोर के घर चोर' और 'अंगूर' के लिए देवेन को बेस्ट कॉमेडियन का फिल्मफेयर अवॉर्ड भी मिला।
उत्पल दत्त

उत्पल दत्त
बंगाली थिएटर से अपने एक्टिंग करियर की शुरुआत करने वाले उत्पल दत्त को 1970 में राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार भी मिला। उन्हें 'गोलमाल', 'नरम गरम' और 'रंग बिरंगी' के लिए तीन बार बेस्ट कॉमेडियन का फिल्मफेयर अवॉर्ड भी मिला। उत्पल दत्त एक्टर होने के साथ ही डायरेक्टर भी थे।
कादर खान

कादर खान
एक्टर, स्क्रिप्ट राइटर और डायरेक्टर कादर खान की कॉमिक टाइमिंग का कोई तोड़ नहीं है। हिंदी सिनेमा में उनका योगदान कभी भुलाया नहीं जा सकता। कादर खान जब कॉलेज में थे तो एक कार्यक्रम के दौरान दिलीज कुमार की नजर उन पर पड़ी। इसके बाद कादर खान ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। वह 450 से अधिक फिल्मों में काम कर चुके हैं।
लक्ष्मीकांत बेर्डे

लक्ष्मीकांत बेर्डे
लक्ष्मीकांत बेर्डे को मराठी फिल्मों का 'कॉमेडी किंग' और 'कॉमेडी सुपरस्टार' कहा जाता था। उन्होंने हिंदी सिनेमा में अपनी अमिट छाप छोड़ी सलमान खान के साथ 'मैंने प्यार किया', 'हम आपके हैं कौन' और 'साजन' में उनकी जोड़ी आज भी याद की जाती है।