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Ghulam Ali Birthday: गुलाम अली के नाम की दिलचस्‍प कहानी और उनकी 10 गजलें, जो हर महफिल को जवां कर देती हैं

Curated by स्वपनल सोनल | Hindi Filmipop | Updated: 5 Dec 2022, 11:51 am
गुलाम अली के नाम की दिलचस्‍प कहानी और उनकी 10 गजलें, जो हर महफिल को जवां कर देती हैं
गुलाम अली के नाम की दिलचस्‍प कहानी और उनकी 10 गजलें, जो हर महफिल को जवां कर देती हैं
ये दिल, ये पागल दिल मेरा... क्‍यूं बुझ गया आवारगी!! गुलाम अली साहब उन चुनिंदा शख्‍स‍ियतों में से हैं, जिनकी आवाज ने हिंदुस्‍तान की आवाम को भी उतना ही दीवाना बनाया है, जिनता पाकिस्‍तान की। गुलाम अली का जन्‍म अंग्रेजी हुकूमत के पंजाब में 5 दिसंबर 1940 को हुआ। इसे अब सियालकोट के नाम से जाना जाता है। बड़े गुलाम अली खान से तालीम हासिल करने वाले गुलाम अली सदी के सबसे मशहूर और सबसे बड़े गजल गायक माने जाते हैं। कभी रेडियो से अपने करियर की शुरुआत करने वाले गुलाम अली ने बॉलीवुड की फिल्‍मों से भी खूब शोहरत बटोरी। 'चुपके चुपके रात दिन आंसू बहाना याद है...', 'हंगामा है क्‍यों बरपा', 'चमकते चांद को टूटा हुआ तारा बना डाला...' गुलाम अली के पिटारे से ये कुछ ऐसे नगमें हैं, जो आज भी हर महफिल की जान हैं।
गुलाम अली के पिता बड़े गुलाम अली खान के बड़े प्रशंसक थे। उन्‍होंने ने ही बेटे का यह नाम दिया। दिलचस्‍प है कि बाद के दिनों में बड़े गुलाम अली से उन्‍हें तालीम हासिल करने का मौका भी मिला। गुलाम अली का अपने उस्ताद बड़े गुलाम अली खान से पहली बार सामना तब हुआ, जब वह युवा थे। उस्ताद बड़े गुलाम अली खान उन दिनों काबुल, अफगानिस्तान के दौरे पर थे। भारत लौटते वक्‍त गुलाम अली के पिता ने उस्ताद से गुजारिश की कि वह उनके बेटे को भी गजल गायिकी की तालीम दें। कई बार अनुरोध के बाद उस्ताद बड़े गुलाम अली खान मान गए। पहली बार उस्‍ताद गुलाम अली खान के सामने गुलाम अली ने ठुमरी 'सइयां बोलो तनिक मोसे रहियो ना जाए' गाया था। बताया जाता है‍ कि इसके बाद उस्‍ताद गुलाम अली खान ने अपने एक श‍िष्‍य को गले लगा लिया।

गुलाम अली ने रेडियो से की थी गजल गायिकी की शुरुआत

गुलाम अली ने 1960 में रेडियो पाकिस्तान, लाहौर के लिए गाना शुरू किया। गजल गाने के साथ-साथ तब गुलाम अली का काम अपनी गजलों के लिए संगीत तैयार करना भी था। पटियाला घराने से ताल्‍लुक रखने वाले गुलाम अली की गजलों में शास्‍त्रीय संगीत का पुट रहा है। वह हमेशा राग-आधारित रचनाएं करते हैं। कभी-कभी वह कई रागों को एकसाथ जोड़ देते हैं।

बॉलीवुड में बीआर चोपड़ा ने दिया था गुलाम अली को पहला मौका

बॉलीवुड में गुलाम अली को पहली बार गाने का मौका बीआर चोपड़ा ने दिया था। साल 1982 में आई फिल्‍म 'निकाह' में कवि हसरत मोहानी के लिखे गीत 'चुपके चुपके रात दिन' को गुलाम अली ने गाया और इसने उनकी पॉपुलैरिटी हद से ज्‍यादा बढ़ा दी।

आइए, आगे सुनते हैं गुलाम अली 10 सबसे मशहूर गजलें-


आवारगी

हंगामा है क्‍यों बरपा

चुपके-चुपके

हमको किसके गम ने मारा

चमकते चांद को

खुली जो आंख तो वो था ना

तुम्हारे खत में

हम तेरे शहर में

पत्ता-पत्ता बूटा-बूटा

हर एक बात पे कहते हो कि तू क्‍या है