बात है साल 2017 की। एक जाने माने डायरेक्टर की फिल्म की काफी चर्चा हो रही थी। ये चर्चा तब और बढ़ गई जब इस पर सेंसर बोर्ड की कैंची चल गई। मगर हैरानी की बात ये है कि फिल्म से सीन्स हटाए जाने से मेकर्स भी चुप थे। उन्होंने एक शब्द तक नहीं कहा और चुपचाप रजाबंदी जता दी। जी हां, ये बात है श्रद्धा कपूर और आदित्य रॉय कपूर की फिल्म 'ओके जानू' से जुड़ी। आइए बताते हैं किस्सा।
'बीबीसी' के मुताबिक, सेंसर बोर्ड के चीफ ने पहलाज निलहानी ने फिल्म निर्माताओं से फिल्म के कुछ डायलॉग हटाने के लिए कहा था। बताया जाता है कि ये डायलॉग्स राष्ट्रपिता महात्मा गांधी से जुड़ी थे।
बदला गया है इन शब्दों को
रिपोर्ट्स के मुताबिक, फिल्म से तीन शब्द बदलने के लिए कहे गया था। ये शब्द 'बापू', 'चरखा' और 'साबरमती' थे। फिल्म में एक जगह हल्के-फुल्के मजाक में इन तीन शब्दों का इस्तेमाल किया गया था। इस सीन के बारे में विस्तार से बताने से इनकार करते हुए सूत्र ने कहा, 'हम कोई कंट्रोवर्सी नहीं चाहते और फिल्म देखने पर आपको समझ आ जाएगा कि यह किस बारे में है।'
कोई नहीं बोला इस मसले पर
फिल्म के निर्देशक शाद अली थे। निर्माण करण जौहर के धर्मा प्रोडक्शन ने किया था। दोनों की ओर से अभी तक इस मामले में कोई आपत्ति दर्ज नहीं करवाई गई थी। सभी ने चुपचाप इस आदेश को मान लिया था।
इसलिए काटा उन शब्दों को
पहलाज निहलानी ने बताया था, 'किसी भी आइकन या प्रसिद्ध आदमी के नाम को गलत तरीके से दिखाने या सुनाए जाने की स्थिति में हमें अपना काम करना पड़ता है। अगर आप किसी मशहूर व्यक्ति का नाम ले रहे हैं और वो गलत तरीके से लिया जा रहा है, तो पहले उस आदमी से 'एनओसी' (नो ऑब्जेक्शन सर्टिफकेट) लेकर आइए।' हांलाकि महात्मा गांधी को लेकर डायलॉग्स क्या थे इस बारे में पहलाज ने कोई टिप्पणी नहीं की।