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Heart Disease के बारे में इन Myths पर गलती से भी न करें भरोसा, जानें क्या है सच

Authored by पुनीत सैनी | Hindi Filmipop | Updated: 12 Jan 2023, 5:44 pm
Heart Disease के बारे में इन Myths पर गलती से भी न करें भरोसा, जानें क्या है सच
Heart Disease के बारे में इन Myths पर गलती से भी न करें भरोसा, जानें क्या है सच
क्या आप जानते हैं कि heart disease दुनिया भर में मृत्यु का नंबर एक कारण हैं? हाल ही में भारत में हार्ट अटैक के कारण कई नामी लोगों की मौतें हुई हैं, लेकिन अभी भी हार्ट डिजीज के बारे में बहुत कुछ ऐसा है जिसके बारे में लोग नहीं जानते हैं या गलत धारणाओं को सच मान लेते हैं। कार्डियोवैस्कुलर बीमारी के बारे में ज्यादातर लोग समझ नहीं पाते हैं और उनकी कम जानकारी गलत धारणाओं को जन्म देती है, जो हर तरह से खतरनाक हो सकती है। यहां जानिए हार्ट से संबंधित बीमारियों के बारे में प्रचलित कुछ myths के बारे में जिन पर आपको विश्वास नहीं करना चाहिए।
Myths 1: दर्द ही दिल के दौरे का वार्निंग साइन है

Fact: दिल का दौरा आमतौर पर सीने में दर्द के रूप में होता है लेकिन ऐसा हमेशा हो यह बिल्कुल भी जरूरी नहीं। एक्सपर्ट कहते हैं कि डायबिटीज से पीड़ित बुजुर्गों में हार्ट अटैक आने के दौरान सीने में दर्द का अनुभव कई बार नहीं हो होता है। न्यूरोपैथी के कारण उन्हें सांस लेने में दिक्कत या पसीने का अनुभव हो सकता है। कभी-कभी लोग गर्दन या कंधे या बांह की कलाई में दर्द का अनुभव करते हैं।
myths 2: bypass की तुलना में Angioplasty ज्यादा बेहतर है

Fact: एंजियोप्लास्टी और बाईपास सर्जरी रोगियों के लिए रिवास्कुलराइजेशन के दो अलग-अलग तरीके हैं, जो ब्लॉक आर्टरीज में ब्लड फ्लो को बहाल करने की एक प्रक्रिया है। प्रत्येक मेथ्ड के अपने गुण और दोष होते हैं। 80 प्रतिशत मामलों में, रिवास्कुलराइजेशन का निर्णय बिना किसी विश्लेषण के किया जाता है, लेकिन कुछ मामलों में कदम उठाने से पहले जरूरी जांच-पड़ताल की आवश्यकता होती है। हार्ट डिजीज एक्सपर्ट, कार्डियक सर्जन और कार्डियक एनेस्थेटिस्ट सहित हार्ट एक्सपर्ट की टीम द्वारा सभी क्लिनीकल डिटेल्स, एंजियोग्राफिक डिटेल्स और रिस्क, बेनिफिट्स का विश्लेषण करने के बाद निर्णय लिया जाता है कि मरीज के लिए क्या सही है।

myths 3: मेरी तो हार्ट डिजीज की फैमिली हिस्ट्री है इसलिए मैं अपने हार्ट हेल्थ को बेहतर करने के लिए कुछ नहीं कर सकता

Fact: यह सोच बिल्कुल गलत है क्योंकि आप अपने हार्ट की बेहतर देखभाल कर सकते हैं और हार्ट डिजीज के रिस्क को कम कर सकते हैं। genetic inheritance के अलावा डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, डाइट, स्मोकिंग, स्ट्रेसफुल लाइफ स्टाइल जैसे रिस्क फैक्टर हैं जिन्हें हार्ट डिजीज की शुरुआत करने के लिए जाना जाता है। इसलिए इसे कंट्रोल किया जाना चाहिए।

myths 4: हार्ट फेल होने का मतलब है कि मेरे दिल ने धड़कना बंद कर दिया है

Fact:
दरअसल हार्ट बीट का रुकना एक ऐसा शब्द है जिसका उपयोग लो हार्ट पंपिंग के लिए किया जाता है। वर्तमान समय में हार्ट फेलियर का इलाज करने और रिजल्ट में सुधार करने के लिए एक से बढ़ कर एक मेडिसीन और डिवाइस हैं।

Myths 5: जब तक मैं अपनी दवा लेता हूं, डायबिटीज मेरे हार्ट को प्रभावित नहीं करेगा

Fact:
जब डायबिटीज या हाईब्लड प्रेशर के रोगियों का इलाज शुरू किया जाता है, तो चिकित्सक कुछ विशिष्ट लक्ष्यों की योजना बनाते हैं (HBA1C 7 से नीचे, ब्लड प्रेशर 140/90 बनाए रखना)। इन डिसऑर्डर से प्रेरित लॉन्गटर्म कॉम्पलिकेशन को कम करने के लिए इसे प्राप्त करने की आवश्यकता है। इसलिए नियमित दवाएं लेने और लाइफ सटाइल में बदलाव के साथ संबंधित रोगियों को समय-समय पर अपने डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।

myths 6: दिल का दौरा पड़ने के बाद मुझे व्यायाम नहीं करना चाहिए

Fact:
diseased muscle के ठीक होने की प्रक्रिया पूरी होने तक acute heart stroke के रोगियों के लिए एक्सरसाइज वर्जित है, जिसमें आम तौर पर लगभग छह सप्ताह लगते हैं। दिल के दौरे के छह सप्ताह बाद सभी पेशेंट को लिमिटेड एक्सरसाइज की सलाह दी जाती है। इसके विपरीत acute heart stroke के अलावा अन्य संकेतों के लिए एंजियोप्लास्टी कराने वाले रोगी जितनी जल्दी हो सके व्यायाम शुरू कर सकते हैं।

इसलिए, गलत धारणाओं पर विश्वास करना बंद करें जो आपके हार्ट और ओवर ऑल हेल्थ को खतरे में डाल सकता है। और तर्कहीन निर्णय लेने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर बात करें।