केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड यानी सेंसर बोर्ड की कैंची अक्सर चर्चा में रहती है। अपने 'संस्कारी तेवर' के लिए मशहूर सेंसर बोर्ड का काम देश में रिलीज हो रही फिल्मों को सर्टिफिकेट देना है। यानी उसके अधिकार क्षेत्र में सिर्फ सर्टिफिकेशन का काम आता है। मसलन, फिल्म U, U/A, A में से किस श्रेणी में रिलीज होगी। सिर्फ यही। लेकिन कई बार कांट-छांट का मामला इस कदर बढ़ा कि वह कोर्ट की दहलीज पार कर गया। बहरहाल, इतिहास के पन्नों में सेंसर बोर्ड ने फिल्म बैन से लेकर कई ऐसे सीन पर कैंची चलाई गई है, जिसके बारे में सुनकर हंसी ही आती है। ये कुछ ऐसे उदाहरण हैं, जिसमें 'संस्कार खराब' करने का हवाला दिया गया।
Kangana Ranaut की इस फिल्म को दुनियाभर में पसंद किया गया। एक आम लड़की की जिंदगी को खुलकर जीने की यह कहानी जाने कितनों को सीख दे गई। लेकिन सेंसर बोर्ड की नजर तो उस सीन पर अटकी, जहां कंगना हाथों में ब्रा थामे हुई थी। फिल्म में कंगना को एक शेयर्ड हॉस्टल में रहते दिखाया गया है। Censor Board को यह पसंद नहीं आया कि लड़की इस तरह हाथों में ब्रा थामकर रखे! कट गया सीन।
बार बार देखो
पहलाज निहलानी के सेंसर बोर्ड अध्यक्ष रहते हुए फिल्मों के सीन पर कुछ ज्यादा ही कैंची चली। ऐसा लगा कि महिलाओं के ब्रा से उन्हें कुछ ज्यादा ही परेशानी है। तभी तो कटरीना कैफ और सिद्धार्थ मल्होत्रा की 'बार बार देखो' में भी ब्रा देखकर उनकी भौंहे सिकुड़ गईं। समस्या गंभीर है।
इश्किया
डायरेक्टर अभिषेक चौबे की 'इश्किया' ने आधी जिंदगी बिता चुके लोगों के सफेद बालों में रंगत ला दी। फिल्म की कहानी उत्तर प्रदेश के शहर गोरखपुर की है। लेकिन सेंसर बोर्ड को इस नाम पर भी आपत्ति हो गई। कैंची चली। कहा गया कोई मिलता-जुलता नाम रखिए तभी सर्टिफिकेट मिलेगा, इससे शहर की छवि खराब होती है। अब इमेज और इज्जत से तो समझौता नहीं ही हो सकता ना!
एंग्री इंडियन गॉडेसेज
फिल्म में सेंसर बोर्ड को देवी-देवताओं के चित्रण पर आपत्ति हुई। यही नहीं, समस्या इस डायलॉग पर भी हुई, 'मेरा इंडियन फिगर है।' सेंसर बोर्ड ने कहा कि या तो डायलॉग हटाइए या फिर बीप कर के चलाइए।
शोले
'शोले' भारतीय सिनेमा के इतिहास की सबसे महान फिल्म भले हो, लेकिन सेंसर बोर्ड की कैंची के बिना यह अधूरी रहती! असल में रमेश सिप्पी साहब ने फिल्म के अंत में विलेन गब्बर को ठाकुर के पैरों तले मरते दिखाया था। बोर्ड को लगा कि ये कुछ ज्यादा ही हिंसक है। कानून को अपना काम करना चाहिए। फिर क्या, देर से ही सही फिल्म का क्लाइमेक्स बदला गया। ठाकुर के पैरों तले कुचले जा रहे गब्बर को पकड़ने के लिए वहां पुलिस पहुंच गई।
खुद्दार
साल 1994 में रिलीज गोविंदा और करिश्मा कपूर की इस फिल्म का एक गाना था 'सेक्सी सेक्सी सेक्सी मुझे लोग बोले'। सेंसर बोर्ड को इससे समस्या हो गई। अब सेक्सी है तो कहने की क्या जरूरत है! बहरहाल, मजाक-मस्ती अपनी जगह है। सेक्सी की जगह फिल्म में 'बेबी बेबी बेबी मुझे लोग बोले' का इस्तेमाल किया गया।
फाइंडिंग फेनी
देश जहां एक ओर सेक्स एजुकेशन पर बात कर रहा है। सरकार इसे स्कूल के पाठ्यक्रम में विस्तार से शामिल करने पर विचार कर रही है, वहीं सेंसर बोर्ड को 'वर्जिन' शब्द से भी आपत्ति है। दीपिका पादुकोण और अर्जुन कपूर की इस फिल्म में एक डायलॉग से 'वर्जिन' शब्द हटाया गया।
हैदर
अब भैया 'हैदर' में विशाल भारद्वाज साहब ने एक्टर को 'बेयर बट' दिखा गया। ये तो सेंसर के सब्र का इम्तिहान ही था। कट गया सीन। वैसे बीते साल रिलीज 'बेफिक्रे' में रणवीर सिंह के 'बेयर बट' से सेंसर को परहेज नहीं हुई। क्या कह सकते हैं, समय के साथ पसंद-नापसंद बदल गई शायद।
स्पेक्ट्रे
ये जेम्स बॉन्ड की फिल्म है, जिसे इंडिया में रिलीज से पहले काट-छांट सहना पड़ा। बॉन्ड को दो ही चीजों का शौक रहा है- रोमांच और रोमांस। लेकिन सेंसर बोर्ड को मोनिका बलूची और पियर्स ब्रॉसनन के बीच किसिंग सीन जमा नहीं। इसे काटा गया। ताबड़तोड़ एक्शन वाले सीन के बाद बॉन्ड साहब ने मोनिका को अपनी आगोश में लिया था।
मिस लवली
नवाजुद्दीन सिद्दीकी की फिल्म थी ये। पॉर्न इंडस्ट्री पर बनी थी। फिल्म में 175 कट्स सुझाए गए थे। खैर, बचा ही क्या रह गया अब।