Aamir Khan Talked About Violence In Films Years Before Again Got Viral With Animal
आमिर खान ने सालों पर की थी मुद्दे की बात, अब 'एनिमल' की रिलीज पर क्यों जरूरी हो गई है वो हर एक लाइन?
Edited by कनिका सिंह | Hindi Filmipop | Updated: 4 Dec 2023, 3:41 pm
आमिर खान इंटरव्यू
रणबीर कपूर की फिल्म 'एनिमल' बॉक्स ऑफिस पर सारे रिकॉर्ड तोड़ रही है और दर्शक बहुत एक्साइटेड हैं। 'एनिमल' की रिलीज़ के बाद, समाज के एक वर्ग ने फिल्म में हिंसा, मर्दानगी और बोल्ड कंटेंट को दिखाने के लिए डायरेक्टर संदीप वांगा रेड्डी की भी आलोचना की। इन सबके बीच, एक्टर आमिर खान का एक पुराना वीडियो ऑनलाइन सामने आया है, जिसमें वह फिल्मों में सेक्स और हिंसा के इस्तेमाल के खिलाफ बात करते नजर आ रहे हैं क्योंकि दर्शकों को इन भावनाओं को भड़काना बहुत आसान है।
क्लिप में Aamir Khan ने फिल्मों में सेक्स और हिंसा के इस्तेमाल के बारे में खुलकर बात की और कहा कि इस तरह के कंटेंट दर्शकों को बहुत आसानी से उत्तेजित कर सकते हैं। उसी पर बात करते हुए, उन्होंने कहा कि अगर डायरेक्टर एक पावरफुल कहानी बनाने, भावनाओं को दिखाने और दर्शकों को खींचने वाली कहानी बनाने में विफल रहते हैं, तो वे अपनी फिल्मों को चलाने के लिए हिंसा और सेक्स पर बहुत अधिक ध्यान देते हैं।
हिंसक फिल्मों पर बोले थे आमिर खान
आमिर ने कहा था, 'कुछ भावनाएं हैं जिन्हें दर्शकों में भड़काना बहुत आसान है। हिंसा उनमें से एक है और सेक्स दूसरी है। ये दो भावनाएं हैं जिन्हें किसी इंसान में भड़काना सबसे आसान है। अगर डायरेक्टर कहानी बनाने, भावनाओं को दिखाने और परिस्थितियां बनाने में इतने पावरफुल नहीं हैं, तो वे अपनी फिल्मों को चलाने के लिए हिंसा और सेक्स पर बहुत अधिक निर्भर रहते हैं।'
'ये फिल्में बहुत नुकसान पहुंचाती हैं'
इसी तर्ज पर बोलते हुए, आमिर ने शेयर किया कि हालांकि ऐसी फिल्में बॉक्स ऑफिस पर सफल हो जाती हैं, लेकिन वे समाज को बहुत नुकसान पहुंचाती हैं। एक्टर ने यह भी बताया कि सिनेमा में काम करने वाले लोग इसके लिए नैतिक रूप से जिम्मेदार हैं। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि वह कभी भी फिल्म से हिंसा को पूरी तरह से खत्म करने पर जोर नहीं देते हैं, लेकिन इसे दिखाने के तरीके हैं।
'इसे दिखाने के और भी तरीके हैं'
इस पर आमिर ने कहा, 'वे सोचते हैं कि अगर हम फिल्मों में बहुत सारा सेक्स और हिंसा जोड़ दें तो यह सफल हो जाएगी।' ये गलत है। मुझे लगता है कि हम नैतिक रूप से जिम्मेदार हैं, हममें से जो सिनेमा में काम कर रहे हैं। वे अगर बड़े पैमाने पर नहीं, तो कुछ हद तक जिम्मेदार हैं। जो दर्शक और युवा हमारी फिल्म देखते हैं, ये उन पर प्रभाव है, मैं यह नहीं कह रहा हूं कि फिल्मों में हिंसा नहीं होनी चाहिए। यह सबजेक्ट पर निर्भर करता है। इसे दिखाने के कई तरीके हैं।'