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Satyajit Ray Movies: सत्‍यजीत रे की वो 5 फिल्‍में, जिन्‍हें देखकर आप वर्ल्‍ड सिनेमा और Oscars सब भूल जाएंगे!

Curated by स्वपनल सोनल | Hindi Filmipop | Updated: 2 May 2023, 7:16 pm
सत्‍यजीत रे की वो 5 फिल्‍में, जिन्‍हें देखकर आप वर्ल्‍ड सिनेमा और Oscars सब भूल जाएंगे!
सत्‍यजीत रे की वो 5 फिल्‍में, जिन्‍हें देखकर आप वर्ल्‍ड सिनेमा और Oscars सब भूल जाएंगे!
36 राष्‍ट्रीय फिल्‍म पुरस्‍कार, एक गोल्‍डन लॉयन अवॉर्ड, एक गोल्‍डन बीयर अवॉर्ड, एक सिल्‍वर बीयर अवॉर्ड, और सैकड़ों अन्‍य अवॉर्ड। 2 मई 1921 को कोलाकाता में पैदा हुए भारत रत्‍न सत्‍यजीत रे को अगर भारतीय स‍िनेमा की सबसे बड़ी यूनिवर्सटी कहा जाए तो गलत नहीं होगा। वह क्‍या नहीं थे, एक बेहतरीन डायरेक्‍टर, स्‍क्रनीराइटर, डॉक्‍यूमेंट्री फिल्‍ममेकर, लेखक, गीतकार, मैगजीन एडिटर, इलस्‍ट्रेटर, कैलिग्राफी आर्टिस्‍ट और कंपोजर। सत्‍यजीत रे ने अपने करियर में 36 फिल्‍में डायरेक्‍ट कीं। इनमें फीचर फिल्‍म से लेकर शॉर्ट फिल्‍म और डॉक्‍यूमेंट्री फिल्‍म शामिल हैं। दुनिया को कैमरे के पीछे से देखने का उनका अंदाज सबसे जुदा था। ऐसा कि 1992 में एकेडमी ऑवर्ड्स ने भी उनका लोहा माना। रे साहब को ऑस्‍कर में लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड से सम्‍मानित किया गया। आज की युवा पीढ़ी शायद सत्‍यजीत रे के जादू को नहीं जानती हो। लेकिन अगर आपकी फिल्‍मों में दिलचस्‍पी है, तो कभी समय निकालकर रे साहब की ये 5 फिल्‍में देख लीजिएगा। यकीन मानिए आपको आज का वर्ल्‍ड सिनेमा भी छोटा लगने लगेगा।
Best Films of Satyajit Ray:

Aranyer Din Ratri (1970)

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Aranyer Din Ratri


सत्‍यजीत रे की 'अरण्येर दिन रात्रि' साल 1970 में रिलीज हुई। यह चार दोस्तों की कहानी है, जो बड़े शहर में रहते हैं। दोस्‍तों की यह टोली एक आदिवासी गांव की यात्रा करती है। वहां वे अपनी जिम्मेदारियों से जूझते हैं। यह फिल्‍म कोलकाता की सांस्कृतिक परिस्थितियों के आधार पर इंसान को परखती है। इस फिल्‍म को देखते हुए खुद से सवाल करने लगते हैं कि क्या हम सभ्यता की उपज हैं? या फिर सभ्‍यता हमारी उपज है? जिंदगी शायद ब्‍लैक एंड व्‍हाईट नहीं, बल्‍क‍ि कई बार काले और सफेद के बीच का गहरा स्‍लेटी भाग है। यह फिल्‍म यही बताती है।

Pather Panchali (1955)

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Pather Panchali


साल 1955 में रिलीज सत्‍यजीत रे की 'पाथेर पांचाली' उनकी पहली फिल्‍म थी। इसने उस साल 11 अवॉर्ड जीते थे। यह विदेशी सरजमीन पर अवॉर्ड पाने वाली पहली भारतीय फिल्‍म भी बनी। कान फिल्‍म फेस्‍ट‍िवल में इसे 'बेस्‍ट ह्यूमन डॉक्‍यूमेंट अवॉर्ड' मिला। फिल्‍म बंगाल के सुदूर गांव की कहानी है। कहानी के केंद्र में पांच लोगों का परिवार है।

Apur Sansar (1959)

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Apur Sansar


साल 1959 में रिलीज 'अपुर संसार' तीन भाग में बनी। यह फिल्‍म 20वीं सदी में पश्चिम बंगाल में रह रहे अपु के प्‍यार और उसकी जिंदगी के इर्द-गिर्द बुनी गई है। अपु बड़ा हो चुका है, वह अपनी जिम्मेदारी, आजादी, अपने व्यक्तित्व और रचनात्मक अभिव्यक्ति के साथ संतुलन बनाने के लिए संघर्ष कर रहा है। यह फिल्‍म जीवन की सीख की तरह है। फिल्‍म देखते हुए आप भले ही हमेशा अपु से सहमत न हों। लेकिन उसे खारिज नहीं कर पाएंगे। इस फिल्‍म से सत्यजीत रे की कई बेहतरीन फिल्मों में नजर आने वाले सौमित्र चटर्जी ने करियर की शुरुआत की थी।

Mahanagar (1963)

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Mahanagar


साल 1963 में रिलीज 'महानगर' में कोलकाता शहर की खूबसूरती को सत्यजीत रे ने बड़े करीने से संजोया है। एक ऐसी फिल्म जो एक पति और पत्नी को करियर के दो राहे पर ले जाती है। इस फिल्‍म में समाज है, रूढ़‍िवादी परंपराओं के रक्षक हैं, नई और उदार सोच रखने वाले लोग हैं। फिल्‍म के मुख्‍य पात्र इन्‍हीं आदर्शों के बीच फंसे हुए हैं। माधवी मुखर्जी और अनिल चटर्जी की शानदार एक्‍ट‍िंग ने इस फिल्‍म को और भी बेहतरीन बना दिया है। फिल्‍म उस दौर के राजनीति को भी मनोरंजक तरीके से दिखाती है।

Agantuk (1991)

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Agantuk


साल 1991 में रिलीज 'आगंतुक' सत्यजीत रे के करियर की आखिरी फिल्म है। लेकिन यह उनके करियर की सबसे बेहतरीन फिल्‍मों में से एक है। फिल्‍म में उत्पल दत्त एक बेहद अमीर महिला के लंबे समय से खोए हुए बड़े चाचा होने का दावा करते हैं। स्वाभाविक है कि यह दावा संदेह पैदा करता है। कई सवाल दर्शकों के मन में भी हैं और फिल्‍म के किरदारों के भी। फिल्‍म कुछ के जवाब देती है और कुछ दर्शकों के लिए छोड़ देती है। इस फिल्‍म में सस्पेंस के साथ-साथ हमें कोलकाता की खूबसूरती भी देखने को मिलती है।