हम जो आम तौर पर देखते हैं। उससे परे भी बहुत कुछ होता है। जो किसी-किसी को दिखता है। अमेरिका में एक दौर ऐसा था जब रंगभेद की नीति वहां अपनाई जाती थी। यानी भेदभाव वो भी रंग के आधार पर। रंग किसी की देन नहीं है। वो प्राकृतिक है। उसको लेकर बुरा महसूस करना भी बुरा है। हिंदी सिनेमा में कई अभिनेत्रियां रंगभेद का शिकार हुई हैं। लेकिन इसी सिनेमा की दुनिया में कुछ सांवली-सलोनी एक्ट्रेसेस भी हैं, जिन्होंने अपनी झील सी आंखों से दुनिया को अपना दीवाना बनाया है।
पहला नाम स्मिता पाटिल का ही बनता है। साल 1974 से 1989 तक स्मिता पाटिल की कई फिल्में आईं। स्मिता की आंखें बहुत बोलती थी। न्यूवेव सिनेमा के दौर में स्मिता ने अपने अभिनय से अहम भूमिका अदा की।
नंदिता दास
एक इंटरव्यू में नंदिता दास ने बताया था कि एक समय उनको सांवलेपन के कारण फिल्मों में काम नहीं मिला था। नंदिता दास ने अपने अभिनय पर बहुत काम किया है। ‘एक अलग मौसम’, ‘रामचंद पाकिस्तानी’, ‘अर्थ 1947’, ‘फायर’ के अलावा ‘फिराक’ नंदिता की कुछ बेहतर फिल्मों में से हैं। ‘फिराक’ का निर्देशन भी उन्होंने ही किया था।
काजोल
काजोल नब्बे की दशक की सुपरस्टार हैं। उनके नाम से फिल्में चलती थीं। 'दश्मन', 'गुप्त' जैसी फिल्मों से काजोल ने बताया कि उन्हें पर्दे पर हर बार शाहरुख खान के साथ रोमांस करने की जरूरत नहीं है। काजोल, तनुजा की बेटी हैं। परिवार का संबंध फिल्मी दुनिया से था, लेकिन फिर भी काजोल का फिल्मी सफर आसान नहीं रहा है। ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे’, ‘कुछ-कुछ होता है’, 'कभी खुशी कभी गम', 'बाजीगर', 'माय नेम इज खान', ये सब काजोल की सबसे उम्दा फिल्में हैं।
कोंकणा सेन शर्मा
‘वेक अप सिड’, ‘ओमकारा’, ‘मिस्टर एंड मिसेज अय्यर’ और ‘तलवार’ में काम कर चुकी कोंकणा सेन शर्मा की सिनेमा में एक अलग पहचान है। वो बांग्ला फिल्मों में भी काम कर चुकी हैं। उनकी मां अपर्णा सेन बांग्ला फिल्मों की चर्चित निर्देशक हैं।
बिपाशा बसु
बिपाशा बसु फिलहाल मां बनने का सुख उठा रही हैं। लंबे समय से फिल्मों से दूर भी हैं। सिनेमा की दुनिया में बिपाशा ने शुरुआत में सिर्फ और सिर्फ हॉरर फिल्में ही कीं। Creature, Alone और राज फ्रेंचाइजी इसी बात का प्रमाण हैं। ‘जिस्म’, ‘अजनबी’ और ‘गुनाह’ जैसी फिल्मों से बिपाशा ने इंडस्ट्री में अपना एक अलग दर्शक वर्ग तैयारी किया।
चित्रांगदा सिंह
सांवली एक्ट्रेसेस के प्रति बने हुए भ्रम को चित्रांगदा सिंह ने भी तोड़ा है। ‘हजारों ख्वाहिशें ऐसी’, ‘ये साली जिंदगी’ और ‘इनकार’ में चित्रांगदा ने न सिर्फ काम किया, बल्कि दुनिया को दीवाना बना दिया। फिलहाल, वह फिल्मों से दूर हो चुकी हैं।
राधिका आप्टे
राधिका आप्टे ने शॉर्ट फिल्म्स से करियर शुरू किया था। आए दिन वो अपने बयानों को लेकर भी चर्चा में रहती हैं। बेबाक हैं। दरअसल, राधिका की हर मुद्दे पर राय काफी क्लीयर है। वो जो भी बोलती हैं। बेबाकी से बोलती हैं। ‘पार्च्ड’ से लेकर ‘शोर इन द सिटी’ और ‘हंटर’ ऐसी फिल्में हैं, जिसमें राधिका ने खुद को साबित किया। वह ओटीटी पर एक के बाद एक कई वेब सीरीज में नजर आ चुकी हैं। हाल ही उनकी फिल्म 'मोनिका माय डार्लिंग' भी रिलीज हुई है।
तनिष्ठा चटर्जी
‘पार्च्ड’ में तनिष्ठा चटर्जी भी थीं। फिलहाल वो फिल्मों में अपनी जगह मजबूत बना रही हैं। ‘अनइंडियन’ में तनिष्ठा ने ऑस्ट्रेलियन क्रिकेटर ब्रेट ली के साथ काम किया था। ‘गुलाबी गैंग’ और ‘चौरंगा’ में भी वो थीं।