सिनेमा एक ऐसा माध्यम है, जो हमारा मनोरंजन करता है। हमें प्रभावित करता है। हमें यह बतलाता है कि हमारे आस-पास क्या हो रहा है और यह भी कि आगे क्या हो सकता है। दुनियाभर में तमाम ऐसे फिल्ममेकर्स हैं, जिनकी फिल्मों ने हमें किसी न किसी रूप में दीवाना बनाया है। इनमें से हर किसी को, किसी न किसी अंदाज में खास महारत हासिल है। कोई बेहतरीन फिक्शन फिल्म बनाता है, कोई जबरदस्त कॉमेडी, किसी की फिल्मों में दमदार एक्शन होता है तो कोई हमें साइंटिफिक फिक्शन की ऐसी दुनिया में ले जाता है, जहां हम आने वाले कल की कल्पना में खो जाते हैं। एक बेहतरीन डायरेक्टर की यही खासियत होती है कि वह अपने 2 से 3 घंटे में आपको अपनी ऐसी दुनिया दिखाता है, जिसे आप सबकुछ मानने लगते हैं। उस डायरेक्टर की तरह सोचने लगते हैं, या फिर वो हमें जहां ले जाना चाहता है, हम वहां पहुंच जाते हैं। बॉलीवुड के एक ऐसे ही बेहतरीन डायरेक्टर हैं प्रकाश झा। जमीन से जुड़ी कहानियां, पड़ोस में होने वाली घटनाओं को सिनेमाई कैनवस पर ग्रैंड बनाने की कला में माहिर।
दामुल (Damul)
साल 1985 में रिलीज 'दामुल' के लिए प्रकाश झा को बेस्ट फीचर फिल्म का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिल चुका है। यह फिल्म प्रकाश झा के बेहतरीन डायरेक्शन का उम्दा नमूना है। कहानी बिहार के गया जिले के मूल निवासी शैवाल की कहानी है। कहानी केंद्र में बंधुआ मजदूरी है। फिल्म में अनु कपूर और दीप्ति नवल लीड रोल में हैं।
परिणति (Parinati)
साल 1989 में रिलीज इस फिल्म को बेस्ट कॉस्ट्यूम कैटेगरी में राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिल चुका है। प्रकाश झा के डायरेक्शन में बनी यह फिल्म विजयदान देथा की लिखी एक शॉर्ट स्टोरी पर आधारित है। कहानी इंसान के ऐसे लालची स्वभाव पर आधारित है, जो उसे विनाश की ओर लेकर जाती है। फिल्म में बसंत जोसालकर, सुरेखा सिकरी और सुधीर कुलकर्णी लीड रोल में हैं।
मृत्युदंड (Mrityudand)
साल 1997 में रिलीज हुई यह फिल्म समाज में लैंगिक भेदभाव यानी लड़का-लड़की, औरत-मर्द में होने वाले फर्क को दिखाती है। इस फिल्म में माधुरी दीक्षित, शबाना आजमी, ओम पुरी जैसे दिग्गज एक्टर्स हैं।
गंगाजल (Gangaajal)
यह प्रकाश झा की सबसे पॉपुलर फिल्म है। साल 2003 में रिलीज इस फिल्म को बेस्ट फिल्म ऑन सोशल इश्यू का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिल चुका है। कहानी साल 1980 और 1981 में बिहार के भागलपुर जिले में हुए अंखफोड़वा कांड पर आधारित है। इसमें पुलिस ने जेल में कैद अपराधियों की आंखों में कथित तौर पर एसिड डाल दिया था। फिल्म में अजय देवगन लीड रोल में हैं।
अपहरण (Apaharan)
बिहार किसी समय में अपहरण यानी किडनैपिंग के अपराध में कुख्यात रहा है। प्रकाश झा की यह फिल्म बिहार में अपहरण के इसी गोरखधंधे की एक काल्पनिक कहानी सुनाती है। फिल्म में अजय देवगन, बिपाशा बसु और नाना पाटेकर लीड रोल में हैं।