कभी सोचा है, शाहरुख खान सिर्फ 'किरण' के नाम पर क्यों हकलाते हैं? क्यों कहते हैं- K-K-K-Kiran, मजेदार है किस्सा
Edited by जैसमिन | Hindi Filmipop | Updated: 15 Feb 2023, 7:57 pm
बॉलीवुड के 'किंग ऑफ रोमांस' शाहरुख खान का जब भी जिक्र होता है, उनके 'क-क-क-क-किरण' वाले डायलॉग की याद आ ही जाती है। यह शाहरुख का वह सिग्नेचर अंदाज बन चुका है, जिसके मुरीद सिर्फ हिंदुस्तान में ही नहीं, दुनियाभर में हैं। साल 1993 में रिलीज फिल्म 'डर' में शाहरुख ने विलेन का रोल प्ले किया था और इसी में उनके किरदार राहुल मेहरा ने हकलाने वाले अंदाज में फिल्म की हीरोइन किरण का नाम 'क-क-क-क किरण' कहकर पुकारा था। लेकिन क्या आप जानते हैं कि डायलॉगबाजी का यह स्टाइल आया कहां से, क्योंकि शाहरुख बिल्कुल साफ तरीके से बोलते हैं, ऐसे में उन्हें हकलाने का यह आइडिया आखिर आया कैसे, इसका किस्सा बड़ा दिलचस्प है।
यशराज फिल्मस पर बनी डॉक्यूमेंट्री-सीरीज 'द रोमांटिक्स' में खुद Shah Rukh Khan ने इसको लेकर खुलासा किया है। शाहरुख ने बताया है कि कैसे उन्होंने 'डर' में अपने हकलाने को अपने अंदर उतारा। शाहरुख कहते हैं, 'मेरा एक क्लासमेट (सहपाठी) था, जो हकलाता था। जब मुझे यह रोल मिला तो मैंने किरदार के हिसाब से अपनी रिसर्च शुरू की।'
बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री देखकर समझीं बारीकियां
शाहरुख बताते हैं कि उन्होंने बीबीसी की कुछ डॉक्यूमेंट्री देखी, जहां बताया गया कि कैसे ऐसे लोगों के दिमाग जब एक ध्वनि, एक आवाज आती है, जिससे वह बहुत ज्यादा अवेयर होते हैं और फिर शब्द अटक जाते हैं। यह किसी तेज करंट की तरह होता है। ऐसे में आप शब्द को पूरी तरह से एकबार में नहीं कह सकते, क्योंकि आप उस ध्वनि से अवेयर हैं।'
'डर' में शाहरुख खान
इसलिए सिर्फ किरण के नाम में हकलाते हैं शाहरुख खान
शाहरुख आगे कहते हैं, 'इसलिए हमने यह तय किया कि राहुल मेहरा का किरदार उस लड़की से सबसे ज्यादा प्यार करता है। इसलिए, मैं सिर्फ किरण शब्द के उच्चारण पर हकलाता हूं। यह सिर्फ उस एक शब्द के लिए था, क्योंकि वह उसके बारे में बहुत अवेयर है।'
'मेरे पास बेवकूफी भरे आइडियाज थे'
वह आगे कहते हैं, 'मेरे पास इस किरदार के लिए कुछ काल्पनिक रूप से बहुत ही बेवकूफी भरे आइडियाज थे। मुझे याद है कि एक बार आदित्य के पास जाकर मैंने कहा था, क्या मैं इस सीन में उल्टा लटक के फोन कॉल कर सकता हूं? आदित्या ने कहा कि पापा इसके लिए तैयार नहीं होंगे। कभी-कभी वो आते थे और मुझे सब्र से सबकुछ सुनने के लिए कहते थे।'