केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड अक्सर चर्चा में रहता है। ताजा मामाला शाहरुख खान की फिल्म 'पठान' को लेकर है। लेकिन हम यहां फिल्म पर विवाद की बात नहीं करेंगे। भगवा बिकिनी पर मचे शोर पर भी चर्चा नहीं करेंगे। हम बात करेंगे सेंसर बोर्ड की। जब भी हम कोई फिल्म देखते हैं तो स्क्रीन पर पहली चीज जो नजर आती है वह है सेंसर का सर्टिफिकेट। इसके बिना देश में कोई भी फिल्म रिलीज नहीं हो सकती। साथ में हमें स्क्रीन पर नजर आता है U या UA या A या फिर S लिखा है। ये वो चार तरह के सर्टिफिकेट हैं, जो सेंसर बोर्ड की तरफ से दिया जाता है। अब सवाल उठता है कि आखिर ये सर्टिफिकेट दिए कैसे जाते हैं? कौन तय करता है कि फिल्म को कौन सा सर्टिफिकेट देना है? आज हम यही सब समझेंगे।
2021 में ओटीटी और डिजिटल के लिए बना नियम
यहां एक बात और समझिए। साल 1952 में जो अधिनियम आया, तब ओटीटी और डिजिटल मीडियम नहीं था। ऐसे में केंद्र सरकार ने फरवरी 2021 में सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यस्थों के लिए दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 को लागू किया। इस नियम में बड़े पैमाने पर ओटीटी प्लेटफॉर्म और सोशल मीडिया को कवर किया गया। यानी अब डिजिटल मीडियम पर भी फिल्म या वेब शो दिखाने के लिए सेंसर बोर्ड से सर्टिफिकेट लेना अनिवार्य हो गया। इस नए नियम को सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 69ए(2), 79(2)(सी) और 87 के तहत पारित किए गए हैं। सेंसर बोर्ड के सर्टिफिकेट के लिए करना पड़ता है अप्लाई
जब फिल्म बनकर तैयार हो जाती है तो सेंसर बोर्ड में सर्टिफिकेट के लिए अप्लाई किया जाता है। इसके बाद क्षेत्रीय अधिकारी की ओर से एक जांच समिति की नियुक्त की जाती है। शॉर्ट फिल्मों के मामले में इस समिति में सलाहकार पैनल के एक सदस्य और एक जांच अधिकारी शामिल होते हैं। इनमें से एक महिला सदस्य का होना अनिर्वाय है। इसके अलावा बाकी फिल्मों के लिए सलाहकार पैनल से चार सदस्य और एक जांच अधिकारी होते हैं, जिनमें से दो महिलाएं होती हैं। यह समिति अपनी रिपोर्ट बनाती है और इसके आधार पर फिल्म को सर्टिफिकेट दिया जाता है। समिति को अगर लगता है कि फिल्म के सीन, डायलॉग या कॉन्टेंट में कुछ बदलाव करना है तो वह फिल्ममेकर को सुझाव की लिस्ट देती है। मेकर्स उस हिसाब से फिल्म को एडिट कर दोबारा सेंसर बोर्ड की समिति को सौंपते हैं। रिव्यू के बाद फिल्म को रिलीज के लिए सर्टिफिकेट मिल जाता है।सेंसर बोर्ड के कितने मेंबर होते हैं और वो कौन होते हैं
केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड का एक अध्यक्ष होता है। वर्तमान में सीबीएफसी के अध्यक्ष गीतकार प्रसून जोशी हैं। केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड में देशभर से 25 सदस्य और 60 सलाहकार पैनल के सदस्य शामिल हैं। इन्हें सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा नियुक्त किया जाता है। बोर्ड के सदस्य आम तौर पर फिल्म और टीवी दुनिया से जुड़े लोग होते हैं। जबकि सलाहकार पैनल के सदस्य अक्सर इंडस्ट्री के बाहर से होते हैं। अध्यक्ष और बोर्ड के सदस्य तीन साल के लिए और सलाहकार पैनल के सदस्य दो साल के लिए काम करते हैं। प्रमाणन बोर्ड के एक सीईओ भी होते हैं, जो मुख्य रूप से प्रशासनिक कामकाज के प्रभारी होते हैं। बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी फिल्मों को सर्टिफिकेट देने वाली जांच समितियों का हिस्सा होते हैं। फिल्मों को दिए जाने वाले 4 तरह के सर्टिफिकेट और उनका मतलब
U - अप्रतिबंधित (Unrestricted), इस सर्टिफिकेट को पाने वाली फिल्मों पर कोई प्रतिबंध नहीं है। यह पूरे परिवार के साथ, बच्चों के साथ, किसी भी क्षेत्र और उम्र के लोगों के बीच दिखाई जा सकती है।UA - इस सर्टिफिकेट को पाने वाली फिल्में भी अप्रतिबंधित हैं, लेकिन 12 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए इसे माता-पिता के साथ देखने की सलाह दी जाती है।
A - वयस्क (Adults), इस श्रेणी की फिल्में सिर्फ और सिर्फ एडल्ट्स के लिए हैं। 18 साल से कम उम्र के दर्शक इसे नहीं देख सकते। यह उन फिल्मों में मिलता है, जिसमें अंग प्रदर्शन, अश्लीलता, खून-खराबा के हिंसक सीन होते हैं।
S - (Special Class of Persons) यह सर्टिफिकेट उन फिल्मों को मिलता है, जो केवल एक विशेष वर्ग के दर्शकों के लिए बनी हैं। यानी इस श्रेणी की फिल्मों को हर जगह, हर दर्शक वर्ग के बीच नहीं दिखाया जा सकता है।