बड़े पर्दे पर यानी थिएटर में फिल्म देखने का अपना मजा है। खासकर वैसी फिल्में, जो लार्जर दैन लाइफ हों। वो जिनमें गजब के VFX और एक्शन सीक्वेंस हों। आपने थिएटर में 3D में फिल्म देखी होगी। 4DX में फिल्म देखी होगी। इसके साथ ही IMAX फॉर्मेट में भी फिल्म देखी होगी। लेकिन अब एक नया फॉर्मेट आया है, जिसका नाम है ICE थिएटर फॉर्मेट। यकीनन आप भी यही सोच रहे होंगे कि आखिर ये क्या नई बला है। इस फॉर्मेट की चर्चा इन दिनों इसलिए भी बढ़ गई है कि शाहरुख खान की फिल्म 'पठान' वो पहली हिंदी फिल्म है, जो इस ICE फॉर्मेट में रिलीज होगी। हालांकि, इससे पहले टॉम क्रूज की 'टॉप गन: मेवरिक' और मार्वल की 'डॉक्टर स्ट्रेंज इन द मल्टीवर्स ऑफ मैडनेस' भी आइस फॉर्मेट में रिलीज हो चुकी हैं।
क्या है आइस थिएटर फॉर्मेट?
आइस थिएटर फॉर्मेट को सीधे और सपाट तरीके से समझें तो इसमें सिनेमाघर के अंदर दर्शकों को एक ऐसा माहौल दिया जाता है, जिससे उन्हें ऐसा लगे कि वह पर्दे पर दिखाए जा रहे सीन के बीच में हैं। इसके लिए थिएटर की दीवारों पर साइड पैनल लगे होते हैं। ये थिएटर के पर्दे के हिसाब से रंग बदलते हैं, पर्दे पर जो दिखाया जाता है, वैसा ही एंबियंस तैयार करते हैं। हालांकि, इसमें यह ध्यान रखा जाता है कि यह दर्शक के ध्यान को भटकाए नहीं। इसे ऐसे समझिए कि अगर पर्दे पर घना जंगल दिख रहा है तो थिएटर की दीवारों पर लगे साइड पैनल्स भी घने जंगल की तरह हरे रंग के ग्राफिक्स दिखाएंगे। इससे ऐसा माहौल तैयार होता है, जैसे आप खुद भी उस जंग के बीच हैं। यानी पूरा सिनेमाघर ही पर्दे पर दिखाए जा रहे सीन और उसके ग्राफिक कलर्स के हिसाब से बदल रहा है।इमरसिव साउंड टेक्नोलॉजी
ICE थिएटर्स में इमरसिव साउंड टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जाता है। इसके लिए पूरे थिएटर में 3D Doldy Atmos वाले 53 स्पीकर्स लगाए जाते हैं। 52 अलग-अलग साउंड सोर्स से दर्शकों के कानों तक आवाज पहुंचती है। इसके साथ ही साउंड की क्वालिटी को और अधिक बढ़ाने के लिए 35 एम्प्लीफायर्स का इस्तेमाल होता है। स्पीकर्स और साउंड सोर्सेज की यह संख्या थिएटर ऑडिटोरियम की लंबाई-चौड़ाई के हिसाब से घटती बढ़ती रहती है।वीडियो में देखिए और समझिए क्या है ICE Theater