होशवालों को खबर क्या..., तुमको देखा तो ख्याल आया… जगजीत सिंह वो नाम हैं जिन्हें किसी परिचय की जरूरत नहीं। जिनके काम को दुनिया सलाम करती है। जगजीत सिंह ही वह गायक हैं जिन्हें युवाओं के बीच गजल विधा को लोकप्रिय बनाने का क्रेडिट जाता है। उनके द्वारा गाया एक-एक गीत व गजल लोगों की जुबान पर आज भी होती है। उनकी सबसे बड़ी खासियत ही ये थी कि वह हर गीत-गजल को खुद जीया और फिर गाया करते थे। आज हम जगजीत सिंह के जीवन से जुड़ा एक दिलचस्प किस्सा आपके लिए लेकर आए हैं। ये किस्सा जुड़ा है जगजीत सिंह के पिता अमर सिंह से। बेटे के टैलेंट को देख अमर सिंह ने उन्हें गाना गाने के लिए प्रेरित किया। वो जगजीत को गुरुद्वारों में ले जाया करते थे, जहां वो भजन गाया करते थे। इस दौरान उनके गाने की प्रैक्टिस भी हो जाया करती थी।
गुरुद्वारे में जगजीत के भजन लोगों के दिल छू रहे थे। कुछ सालों बाद जगजीत को संगीत की सीखने के लिए पंडित छगनलाल शर्मा के पास भेजा गया। इसके बाद 6 सालों तक वो उस्ताद जमाल खान से संगीत सीखते रहे। म्यूजिक सीखने के बाद पिता के कहने पर वह मुंबई आ गए। इंडस्ट्री में खुद को बतौर सिंगर देखने के लिए जगजीत सिंह ने काफी संघर्ष किया। वो शादी और फिल्मी पार्टियों में गाना गाते थे। इसके अलावा उन्होनें कई विज्ञापनों में भी काम किया। कई दिनों तक एक स्टूडियो से दूसरे स्टूडियो तक धक्के खाने के बाद फाइनली उन्हें HMV ने मौका दिया। यहां जगजीत को दो गानों के लिए साइन किया गया। उन्हें दूसरे सिंगर के साथ एक कैसेट के लिए दो गीत गाने थे। इन गानों के डायरेक्टर सीके चौहान थे।
दाढ़ी, बाल और पगड़ी से इस वजह से बनाई थी दूरी
एचएमवी के लिए जगजीत सिंह ने 'साकिया होश कहां था' और 'अपना गम भूल गए' गानों की रिकॉर्डिंग की। इस कैसेट के कवर पर फोटो लगाने के लिए जगजीत से उनकी फोटो मांगी गई। चूंकि वो सिख थे तो उन्होंने दाढ़ी और बाल बढ़ा रखे थे। जगजीत तब पगड़ी भी बांधते थे। गाने के कवर फोटो के लिए उन्होंने तय किया कि वो अपनी दाढ़ी और बाल कटवाएंगे। कवर फोटो के लिए उन्होनें पगड़ी भी हटा दी। जगजीत सिंह एक वर्सटाइल सिंगर थे और वो नहीं चाहते थे कि ढाढ़ी,बाल और पगड़ी की वजह से लोग उन्हें टिपिकल पंजाबी सिंगर समझे।
पिता से टूटा रिश्ता
करियर के लिहाज से तो जगजीत का ये कदम भले ही सही रहा हो लेकिन इसका उनके जीवन पर काफी प्रभाव पड़ा। कवर फोटो देख उनके पिता बहुत नाराज हुए। वो सिख धर्म को मानते थे। दाढ़ी और बाल हटवाना नामधारी सिख सिद्धांतों के खिलाफ कदम था। नाराज पिता ने जगजीत सिंह से अपना नाता तोड़ लिया। उन्होंने जगजीत से बात भी करना छोड़ दिया था।
सिख धर्म को मानने वालों की नाराजगी का सामना करना पड़ा
कई सालों तक जगजीत को सिख धर्म को मानने वालों की नाराजगी का सामना करना पड़ा। यही नहीं इसके बाद जब वो एक फंक्शन में गाना गाने गए तो उनकी एंट्री पर रोक लगा दिया गया। इस किस्से का जिक्र उन्होंने अपने जीवन पर लिखी गई 'किताब बात निकलेगी तो फिर' में किया था। जगजीत सिंह भले ही आज हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन वो अपनी गजल के जरिए हमेशा हमारे बीच रहेंगे।