ड्राई आई सिंड्रोम (डीईएस) के लिए डायबिटीज मेलेटस को प्रमुख रिस्क फैक्टर में से एक के रूप में पहचाना गया है। हाल के वर्षों में डायबिटीज से जुड़े डीईएस प्रॉब्लम के बढ़ने के बारे में कई रिपोर्ट सामने आये हैं। 65 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में इसका प्रसार 15-33 प्रतिशत है, जो उम्र के साथ बढ़ता है। अगर समय पर इसका इलाज न किया जाए तो यह स्थिति आंखों के नुकसान और यहां तक कि रोशनी जाने तक का कारण बन सकती है। इसके बारे में विस्तार से जानें।
ड्राई आई के रिस्क फैक्टर
ड्राई आई डेवलप होने के कारणों में peripheral neuropathy, अत्यधिक ब्लड शुगर, इंसुलिन की कमी आदि शामिल हैं। डायबिटीज के रोगियों की न्यूरोपैथी लैक्रिमल ग्लैंड्स के ऑटोमेटिक रेगुलेशन को बाधित कर सकती है। यह बात भी सामने आई है कि सोर्बिटोल बिल्डअप से स्ट्रक्चरल और फंग्श्नल लैक्रिमल ग्लैंड डैमेज हो सकती है, जिससे टियरप्रोडक्शन कम हो जाएगा।
इसके अलावा, tear film dysfunction को ड्राई आई सिंड्रोम से निकटता से जुड़ा हुआ पाया गया है। मानव आंसू फिल्म में तीन परतें शामिल हैं- लिपिड, Mucin
और एक्वियस।
डायबिटीज मेलेटस से संबंधित ड्राई आई सिंड्रोम
मेइबोमियन ग्लैंड डिसफंक्शन, पलक की समस्याएं, कम ब्लिंक रेट, आंसू की कमी और सूखी आंख दोनों का कारण बन सकता है। इसके अतिरिक्त डायबिटीज मेलेटस कॉर्नियल असामान्यताओं के लिए एक रिस्क फैक्टर है। डीईएस से जुड़े हाइपरग्लेसेमिया से संबंधित ओकुलर समस्याओं में ट्रॉफिक अल्सर, persistent epithelial defects, recurrent corneal erosions, और superficial punctate keratopathy शामिल हैं।
आंखों पर क्रोनिक डायबिटीज के साइड इफेक्ट
डायबिटीज के कारण ड्राई आई सिंड्रोम की परेशानी बढ़ सकती है। यह महत्वपूर्ण प्रभाव डालती है। 10 से अधिक वर्षों के डायबिटीज की ड्यूरेशन का ड्राई आई की समस्या से रिलेशन देखा गया है। डायबिटीज के कंट्रोल की स्थिति दूसरा फैक्टर है जो ड्राई आई सिंड्रोम से महत्वपूर्ण रूप से जुड़ा हुआ है। खराब ग्लाइसेमिक कंट्रोल वाले मरीजों में ड्राई आई लेवल अधिक होता है। इसके अलावा टाइप 2 डायबिटीज मेलिटस वाले रोगियों में ड्राई आई सिंड्रोम बढ़ती उम्र के साथ महत्वपूर्ण रूप से जुड़ा हुआ है। डायबिटिक रेटिनोपैथी (DR) और ड्राई आई सिंड्रोम के बीच महत्वपूर्ण संबंध की पहचान की गई है। डायबिटिक रेटिनोपैथी आंख के पीछे (रेटिना) की टिशू में ब्लड वेसल्स के नुकसान के कारण होती है। ड्राई आई की गंभीरता ड्यूरेशन और ट्रीटमेंट पर निर्भर करती है।
शुरुआती उपचार से ड्राई आई सिंड्रोम को रोका जा सकता है?
जटिलताओं से बचने के लिए ड्राई आई के ट्रीटमेंट जल्दी कराने की आवश्यक है। डायबिटीज और गैर-डायबिटीज ड्राई आई पेशेंट के लिए उपचार एक समान ही हैं। आर्टिफिशियल टियर का उपयोग लक्षणों में सुधार करने के लिए होता है, आर्टिफिशियल टियर अस्थायी रूप से धुंधली दृष्टि में सुधार करते हैं।
सबसे व्यापक रूप से इस्तेमाल की जाने वाली Anti-Inflammatory Drugs कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स, नॉनस्टेरॉइडल एंटी-इंफ्लेमेटरी ड्रग्स, साइक्लोस्पोरिन ए, टैक्रोलिमस और ऑटोलॉगस ब्लड सीरम आई ड्रॉप हैं। ये कॉर्टिकोस्टेरॉइड ड्राई आई के लक्षण और सूजन के लेवल को कम करते हैं और कॉर्नियल एपिथेलियल डैमेज को रोकते हैं।