बहुत सारे लोग तांबे के बर्तन में पानी रखने या तांबे के कप से पानी पीने की देसी परंपरा में विश्वास करते हैं। लेकिन इस परंपरा में कितनी सच्चाई है? क्या यह वास्तव में फायदेमंद है या सिर्फ एक सनक? हेल्थलाइन के अनुसार, तांबा एक महत्वपूर्ण Nutrients है और शरीर के विभिन्न आवश्यक कार्यों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जैसे कि एनर्जी प्रोडक्शन और आपके ब्रेन की केमिकल मैसेजिंग सिस्अम।
तांबा डाइजेशन में सुधार करने में मदद करता है और constipation और acidity. को रोकता है। कॉपर में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण भी होते हैं, इसलिए यह इम्यूनिटी को बढ़ाता है। तांबे के बर्तन में रखा पानी पीने से शरीर को ठंडक भी मिलती है। प्राचीन आयुर्वेदिक ग्रंथों का दावा है कि तांबे के बर्तन से पानी पीने से शरीर के तीन दोष वात, पित्त और कफ ठीक हो जाते हैं। खाना खाने और पचाने से टॉक्सिन्स निकलते हैं और शरीर में गर्मी पैदा होती है। कॉपर बेस्ड पानी शरीर के एसिड को बैलेंस करता है और शरीर को ठंडा भी करता है।
सुबह खाली पेट तांबे के बर्तन में रखा पानी पीना है सही
वह तांबे के बर्तन के पानी पीने के लिए सबसे अच्छे समय की बात करें तो एक्सपर्ट के अनुसार सभी तरह के हेल्थ बेनिफिट्स के लिए सबसे सही समय सुबह खाली पेट इस पानी को पीना है। लेकिन याद रखने वाली बात यह है कि कॉपर एक ट्रेस मिनरल है जिसकी शरीर को कम मात्रा में आवश्यकता होती है। इसलिए कभी भी इसका अधिक सेवन नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे copper toxicity हो सकती है।
लीवर डैमेज और किडनी की बीमारी का खतरा
हेल्थलाइन के अनुसार तांबे की हाई डोज के लंबे समय तक संपर्क में रहने से copper toxicity हो सकती है, जिससे मतली, उल्टी, पेट में दर्द और दस्त की समस्या हो सकती है। यहां तक कि इससे लीवर डैमेज और किडनी की बीमारी भी हो सकती है।
WHO के अनुसार कॉपर की मात्रा क्या होनी चाहिए?
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, एक व्यक्ति के लिए प्रति कप (2 मिलीग्राम प्रति लीटर) पानी में 0.47 मिलीग्राम कॉपर से अधिक नहीं होना चाहिए। इसलिए किसी भी चीज के इस्तेमाल में कभी भी हद पार न करें और अपने हेल्थ बेनिफिट्स के लिए केवल एक चीज पर बहुत अधिक भरोसा न करें।